कम्पोस्टिंग (Composting)

कम्पोस्टिंग वह प्रक्रिया है जिसमें लाभदायक कीटों, और सूक्ष्म जीवों के माध्यम से पौधों और जंतु अपशिष्टों को पुनः सरलीकृत रूप में बदल दिया जाता है.
कम्पोस्टिंग की प्रक्रिया अपशिष्ट को खाद -पोषण से भरपूर माध्यम में बदल देती है. कम्पोस्टिंग के दौरान कई ऐसे पदार्थों का निर्माण होता है जो भूमि की जलधारण क्षमता और उपजाऊ क्षमता की मेंटेन करने का काम करते हैं.
कम्पोस्ट खाद खेत में बफर का काम भी करता है. यानी अगर आपके खेतों मे ऐसिडिटी या ऐल्कलीनीटी है तो उसका pH लेवल सही करने का सबसे बेस्ट तरीका कम्पोस्ट ही है।
सामान्यतः कंपोस्ट खाद में नाइट्रोजन, फोस्फोरस, पोटाश, सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक आदि तत्व होते हैं. इनकी उपस्थिति और मात्रा फसल/जंतु अपशिष्ट के अनुसार परिवर्तित होती है.
कम्पोस्टिंग (Composting) क्यों जरुरी है?
पौधे और जंतु कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं. अपने जीवनकाल में जितने भी पोषक इन्हें प्राप्त होते हैं, उत्सर्जन के बाद बचा हुआ पोशाकों का भाग इन्हीं कोशिकाओं में बंद रहता है. पोषक भी जटिल रूपों में परिवार्तित करके ही कोशिकाओं में जमा किये जाते हैं, ताकि आसानी से विघटित न हों और आवश्यकता पड़ने पैर कम आयें. जाहिर है, इस खजाने की सुरक्षा करने के लिए जरूर अच्छी व्यवस्था की गयी होगी.
पौधों की मोती जटिल और लगभग अभेद्य कोशिका भित्ति इस खजाने की रक्षा करती है. सेल्यूलोस, लिग्निन, पेक्टिन और अन्य प्रतिजैविक तत्व कोशिका भित्ति को जटिल बनाते हैं और इनका विघटन रोकते हैं. लकड़ी से बने घरों के दरवाजे और फर्नीचर कोशिका के इसी गुण के कारण सालो साल चलते हैं.
कुछ सूक्ष्मजीव कोशिका की दीवार को भेदकर उसके पोशाकों को बाहर निकालने की क्षमता रखते हैं. इन लाभदायक सहजीवी सूक्ष्मजीवों का फायदा कंपोस्ट निर्माण करने वाले कीट और जंतु भी उठाते हैं.
कम्पोस्टिंग (Composting) मूलतः एक सूक्ष्मजैविक प्रक्रिया है.
कम्पोस्टिंग (Composting) के प्रमुख प्रकार
तकनीक और प्रक्रिया के आधार पर कम्पोस्टिंग कई प्रकार की होती है. मुख्यतः इसे तीन समुहों में बांटा जा सकता है –
१- सामान्य कम्पोस्टिंग
२- सूक्ष्म जैविक कल्चर के माध्यम से कम्पोस्टिंग
३- वर्मी कम्पोस्टिंग
सूक्ष्मजीव (माइक्रोबियल कांसोर्टिया) के माध्यम से कम्पोस्टिंग
जैसा की ऊपर बताया गया है, कम्पोस्टिंग मूलतः एक सूक्ष्मजैविक प्रक्रिया है. खेत के अपशिष्ट को सीधे ऐसे सूक्ष्मजीवों के हवाले कर देने से जो कम्पोस्टिंग में माहिर हों, यह काम सबसे सरल और जल्द हो जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि विशेष प्रकार के सूक्ष्मजीवों के पास पौधे के जटिल कोशिकभित्ति और संचित पोशकों को तोड़ कर सरल रूप में परिवर्तित करने की क्षमता होती है.
गोबर और भूसे आदि कृषि अपशिष्ट के मिश्रण से सूक्ष्मजीवों द्वारा २१ दिन में तैयार खाद –
खेती के वेस्ट से शानदार कम्पोस्ट खाद बानाएं
सूक्ष्मजीव धान के छिलके जैसे जटिल मटेरियल को भी उपयोगी जीवांश में बदल सकते हैं.
कंपोस्ट तैयार है या नहीं, यह चेक कैसे करें?
किसानों के सामने यह सबसे बड़ा सवाल होता है की खाद तैयार है या नहीं यह कैसे पता लगायें?
बाजार में उपलब्ध तरह तरह के डी-कंपोजर बैक्टीरिया की क्षमता की तुलना करने के लिए एक आसन तरीका है उसे पानी में घोल कर देखना.
बिना डी-कंपोज कृषि वेस्ट पानी के ऊपर तैरता है. ऐसा इसलिए होता है की पौधों की कोशिका भित्ति आसानी से पानी को भीतर नहीं घुसने देती (मृत अवस्था में भी). डी-कंपोज हो चुके आर्गेनिक पदार्थ को कोशिकाएं छिन्न-भिन्न हो जाती हैं और इनकी जल धारण क्षमता बढ़ जाती है और वह पानी में डूब जाता है. साथ ही कोशिका में संचित पदार्थ बहार निकल जाते हैं, जिसे सूक्ष्म जीव अपना भोजन बना कर अपनी संख्या बढ़ाते हैं. इन दोनों कारणों से डी-कंपोज हुआ आर्गेनिक मैटर पानी में घोलने पर चाय-काफी जैसी रंगत देता है.
खेत के अपशिष्ट को बहु-उपयोगी खाद में बदलना किसान के कई खर्चे बचा सकता है और पैदावार बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
बैक्टीरिया विधि से निर्मित कंपोस्ट खाद के लाभ :
- पोषक तत्वों का सरल सुलभ स्त्रोत
- भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि
- जलधारण क्षमता में वृद्धि
- पौधों की रोग रोधी क्षमता में वृद्धि
- प्राकृतिक पौध वृद्धि उत्प्रेरकों का स्त्रोत
- सही जर्मीनेशन और अच्छी वृद्धि
- सुक्ष्मजैविक कल्चरों का प्रभाव बढाता है
बैक्टर से जुडने के फायदे ?
पौधों की जरूरतों की समझ
पौधों की पोषण आवश्यकताओं, जैविक,भौतिक और रासायनिक कारकों के प्रभावों और संतुलन की समझ,खेती के नए आयामों और भूमि सुधार के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। बैक्टर लगातार इस दिशा में काम कर रहा है।
संतुलित पोषण और प्रबंधन
कौन से पोषक तत्व जरूरी हैं और कब किस रूप में देना है यह उनके समुचित लाभ प्राप्त करने के लिए जरूरी है। बैक्टर, कृषि के लिए उच्च गुणवत्ता के सूक्ष्म पोषक तत्व यानी Micro-Nutrients उपलब्ध करवाता है।
पोषण उपलब्धता बढ़ाने के तरीके
जमीन में डाले गए पोषकों को मिट्टी के चक्र में बनाए रखना और उन्हे पौधों द्वारा उपयोग लायक रूप में बदलते रहने के लिए कई उपाई किये जाते हैं जिसमें ऑर्गैनिक मैटर और मित्र सूक्ष्मजीवों का अहम रोल है। बैक्टर किसानों की उच्च गुणवत्ता का काम्पोस्ट बनाने में मदद करता है और साथ ही उच्च गुणवत्ता के मित्र सूक्ष्म जीव (बायो-फर्टिलाइजर) भी उपलब्ध करवाता है ताकि जमीन का pH और CEC उच्च पैदावार के लिए अनुकूल हो सके।