आजकल हर किसान यूरिया से बचना चाहता है। इसके कई प्रकार के नुकसान गिनाए जाते हैं। आज हम यूरिया के फायदे और नुकसानों पर चर्चा करेंगे। यह जानने की कोशिश करेंगे कि यूरिया क्यों किसानों का पसंदीदा उर्वरक बना? आज उससे पीछा छुड़ाने की बात क्यों हो रही है? क्या बिना यूरिया के खेती सम्भव है?
अगर आपको यूरिया के विषय में जानना है तो पहले नाइट्रोजन के विषय मे जानना पड़ेगा। यूरिया नाइट्रोजन का सबसे प्रमुख, और सबसे सस्ता स्रोत है।
तो आइए नाइट्रोजन से शुरू करते हैं।
पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में से नाइट्रोजन सबसे प्रमुख पोषक है। अगर सारे पोषक मौजूद हैं और नाइट्रोजन की कमी है तो पैदावार छोड़िये, पौधे की बढ़वार ही ढंग से नहीं होगी।
नाइट्रोजन पौधे की लगभग हर जैविक गतिविधि के लिए जरूरी तत्व है। इससे प्रोटीन और एंजाइम का निर्माण होता है।
एंजाइम वे खास मशीनें हैं जिसके बिना वायरस से ले कर व्हेल मछली और विशालकाय पेड़ों तक का अस्तित्व नहीं हो सकता। यानी ये जीवन के खास टूल्स हैं।
एक चीज ध्यान रखने की है कि हर पौधे की प्रजाति अपने अलग प्रकार के एंजाइम का निर्माण करती है, जो उसे उसके पर्यावरण के अनुकूल जीवन जीने में सहायता करता है। और हर एंजाइम का मुख्य कच्चा माल नाइट्रोजन ही है, बिना नाइट्रोजन के एंजाइम नहीं बन सकते और बिना एंजाइम के जीवन असम्भव है।
नाइट्रोजन, जमीन में सबसे ज्यादा मोबाइल यानी चलायमान पोषक है। यूँ तो हवा में 72% नाइट्रोजन होती है, पर इसे पौधे या जंतु सीधे ग्रहण नहीं कर सकते। यह निष्क्रिय रूप में होती है। पूरे जीव जगत में हवा की नाइट्रोजन ही मूल स्रोत है। चूंकि यह N2 रूप में होती है तो इसे हम डाई नाइट्रोजन नाम से पुकारेंगे।
फैक्टरियों में यूरिया का निर्माण भी इसी डाई नाइट्रोजन से होता है। इस प्रक्रिया को खोजने वाले वैज्ञानिक के नाम पर हैबर विधि कहा जाता है।
हवा की नाइट्रोजन में हाइड्रोजन कार्बन और ऑक्सीजन जोड़ने पर यूरिया बनता है, जो नाइट्रोजन सक्रिय, घुलनशील और चलायमान रूप है।
यूरिया के विघटन से अमोनियम आयन का निर्माण होता है, इसे पौधे तीव्रता से ग्रहण कर लेते हैं, इसी कारण फसल में यूरिया डालने का रिजल्ट जल्दी और तेजी से आता है।
पौधों के लिए नाइट्रोजन के अन्य स्त्रोत नाइट्रेट हैं। जैसे पोटैशियम नाइट्रेट, कैल्शियम नाइट्रेट और अमोनियम नाइट्रेट।
पौधों और जंतुओं के शरीर मे उपस्थित प्रोटीन के वघटन से भी अमोनियम आयन का निर्माण होता है। विभिन्न प्रकार की खलियाँ और एमिनो एसिड भी नाइट्रोजन के स्त्रोत हैं।
अगर बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के नाइट्रोजन उर्वरकों की तुलना की जाए तो यूरिया जितनी नाइट्रोजन की मात्रा किसी अन्य उर्वरक में नहीं है। दूसरे अन्य उर्वरक इतने सस्ते भी नहीं हैं।
क्रमशः (आगे जानने के लिए भाग 2 पर चलें)
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