नमस्कार किसान भाइयो, आज हम पोटैशियम की बात करेंगे।
पोटैशियम मैक्रोन्यूट्रिएंट्स श्रेणी का पोषक तत्व है | पौधों के लिए यह ज़्यादा मात्रा में आवश्यक होता है इसीलिए इसे मैक्रोन्यूट्रिएंट्स या वृहद पोषक तत्व की श्रेणी में रखा गया है |
पोटैशियम की कमी से फसलों का उत्पादन कम हो जाता है | ऐसा क्यों होता है ? पोटैशियम किस प्रकार उत्पादन बढ़ाने में सहायक है , आइये जानें।
पोटैशियम पौधों की बढ़वार के लिए जरूरी तत्व है | यह जड़ों के विकास के लिए जरूरी है इसकी कमी से जड़ें अविकसित रह जाती हैं | अविकसित जड़ों के कारण अन्य पोषक तत्वों का अवशेषण कम होता है फलतः पौधे छोटे रह जाते हैं और उत्पादन कम मिलता है |
पौधों के वजन का मुख्य हिस्सा पानी से बना होता है | यह पौधों की जैविक गतिविधि के लिए मूल माध्यम है जड़ें पानी खींचती हैं और स्टोमेटा से पानी बाहर हवा में निकल जाता है |
पोटाश पर्याप्त मात्रा में होगा तो जड़ों का विकास भी पर्याप्त होगा और जल अवशोषण बढ़ेगा , परिणाम स्वरूप पौधों की अच्छी बढ़वार होगी |
पानी की हानि स्टेमेटा के माध्यम से होती है। वातावरण से कार्बन डाई आक्साइड सोखने और आक्सीजन बाहर निकालने के लिए स्टोमेटा जब भी खुलता है , पानी वाष्प के रूप में बाहर निकल जाता है |
अगर स्टेमेटा का खुलना अनियमित और अनियंत्रित हो जाये तो पानी की ज्यादा हानि होती है और पौधों में विलटिंग आ जाती है विलटिंग आने पर प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पूरी तरह बाधित होती है और फसल का उत्पादन लगभग खत्म हो जाता है |
पोटैशियम सीधे तौर पर फसल के उत्पादन को प्रभावित करता है | जड़ों की वृद्धि और विकास के लिए जरूरी है |
पोटैशियम सूखे में यानि पानी की कमी होने पर भी पौधों को जीवित बनाए रखता है और उत्पादन ज्यादा प्रभावित नहीं होने देता |
प्रकाश संश्लेषण में निर्मित शर्करा का परिवहन कर पूरे पौधे में वितरित करता है | यह स्टार्च और प्रोटीन निर्माण में वृद्धि कर उत्पादन बढ़ता है |
पोटैशियम के विभिन्न स्त्रोत क्या हैं? जानने के लिये वीीजानकारी के लिए वीडियो देखेंपोटैशियम के विभिन्न स्त्रोत क्या हैं? जानने के लिये वीी
सब्जियों के अतिरिक्त अनाज और दलहन का उत्पादन पोटाश डालने पर बढ़ता है | पौधों के कई एंजाइम पोटेशियम से एक्टिवेट होते हैं |
किसान फसलों के गिरने से काफी परेशान होते हैं | इसे अंग्रेजी में लाजिंग कहते हैं। पौधों में मजबूती की कमी यानी सेलुलोज की कमी से लाजिंग होती है | पोटेशियम की अच्छी मात्रा सेलुलोज का निर्माण बढ़ा कर पौधे को मजबूती देती है | और फसलें लॉजिंग से बच जातीं हैं।
पोटेशियम पौधों की मजबूती और मोटाबेलिज़्म को सुचारू बना कर उनकी रोग प्राधिरोधक क्षमता बढा देता है| यानी कीट प्रकोप और फंगस आदि का प्रकोप कम हो जाता है |
कैसे डाले गये पोटाश का अधिक से अधिक अवशोषण हो ?
भुरभुरी हवादार नम मिट्टी में पोटाश का अवशोषण अच्छी तरह होता है | कम्पोस्ट की अच्छी मात्रा पोटाश को मिट्टी में रोक कर रखती है और बढ़ने नही देती है |
कम्पोस्ट मिट्टी को भुरभुरा और हवादार भी बनाता है |
पोटाश ज्यादा होने पर ?
अगर पौधे में पोटेशियम ज्यादा मात्रा में उपलब्ध है तो पौधा ज्यादा पोटाश अवशोषित कर लेता है | इससे कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है बल्कि उसके स्वस्थ्य और पैदावार में वृद्धि ही होती है |
अनाज में स्टार्च की मात्रा बढ़ती है | प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है | कपास में फाइबर की मात्रा बढ़ती है उत्पाद का वजन बढ़ता है | चमक और क्वालिटी भी इम्प्रूव होती है |
कृषि उत्पाद जैसे, आलू, प्याज, लसन आदि की शेल्फ लाइफ बढ़ती है |
बालुई मिट्टी या हल्की मिट्टी में पोटेशियम एक साथ देने की जगह बार बार देना चाहिए पोटाश फर्टिलाइजर के विषय में जानकरियाँ अपडेट रखने के लिए बैक्टर के यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें |
Pingback: कपास (Cotton) का पोषण प्रबंधन और सूक्ष्मजीवों का क्या रोल » Bacter
Comments are closed.