Cotton यानी कपास को भी अन्य फसलों की ही तरह नाइट्रोजन (Nitrogen), फ़ॉस्फ़ोरस (Phosphorus) और पोटैशियम (Potassium) पोषकों की आवश्यकता प्रमुख रूप से होती है। अगर इन तीनों पोषक तत्वों की तुलना करें तो मत्रात्मक रूप से कपास में सबसे ज्यादा आवश्यकता पोटैशियम (Potassium) की होती है। जबकि कपास को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला पोषक नाइट्रोजन है।
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रिसर्च के अनुसार 60 दिन की अवस्था के आसपास पौधे को पोषक तत्वों की खास जरूरत पड़ती है, जो 100 दिन की अवस्था तक बनी रहती है।
खास बात यह है कपास की फसल में अन्य मिनिरल्स जैसे मैग्नीशियम (Magnesium), सल्फर (Sulphur), आयरन (Iron), जिंक (Zinc), कोबाल्ट (Cobalt), मॉलिब्डेनम (Molybdanum), बोरॉन (Boron), कैल्शियम (Calcium), कॉपर (Copper), सोडियम (Sodium) आदि की कमी सामान्यतः नहीं देखी जाती।
संभवतः कपास की गहरी जड़ें जो काफी गहराई से पोषण खींचने में सक्षम होती हैं, सूक्ष्म पोषकों की कमी नहीं होने देतीं। परंतु इसका आशय यह नहीं कि उपरोक्त पोषकों की जरूरत कपास की फसल को नहीं होती और इनका प्रयोग कपास की फसल में नहीं करना चाहिए। उपरोक्त पोषक अगर सही और संतुलित मात्रा में पौधे को मिलेंगे तो वृद्धि, विकास, रोग प्रतिरोध क्षमता अच्छी बनी रहेगी जिससे अंततः उत्पादकता प्रभावित होती है।
इस पोस्ट में हम निम्न बिंदुओं पर चर्चा करेंगे;
- कपास (Cotton) में नाइट्रोजन (Nitrogen) का प्रबंधन और सूक्ष्मजीवों का रोल
- नाइट्रोजन की लीचिंग
- नाइट्रोजन कैसे प्रयोग करें?
- एज़ोटोबैक्टर (Azotobacter) के लाभ
- कपास (Cotton) में फ़ॉस्फ़ोरस (Phosphorus) का प्रबंधन और सूक्ष्मजीवों का रोल
- फ़ॉस्फ़ोरस (Phosphorus) की कमी का प्रमुख कारण
- फ़ॉस्फ़ोरस (Phosphorus) किस रूप में प्रयोग करें?
- फ़ॉस्फ़ोरस घोलक मित्र सूक्ष्मजीव
- कपास में पोटैशियम (Potassium) का प्रबंधन और सूक्ष्मजीवों का रोल
- पोटैशियम (Potassium) की कमी के प्रभाव
- पोटैशियम (Potassium) किस रूप में प्रयोग करें?
- पोटैशियम (Potassium) मोबिलाइज़र मित्र सूक्ष्मजीव
- कपास (Cotton) में अन्य सूक्ष्म वृहद पोषकों (Micro Macro Nutrients) का प्रबंधन और सूक्ष्मजीवों का रोल

कपास (Cotton) में नाइट्रोजन (Nitrogen) का प्रबंधन और सूक्ष्मजीवों का रोल
कपास (Cotton) की उत्पादकता को प्रभावित करने वाला सबसे जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन है। अत्यधिक गतिशील होने के कारण जमीन में ज्यादातर समय इसकी कमी बनी रहती है। नाइट्रोजन की उपलब्धता कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे मिट्टी का प्रकार, सिंचाई का तरीका, मौसम, और डालने का समय।
नाइट्रोजन की लीचिंग
नाइट्रोजन पानी में अत्यधिक घुलनशील होता है। यह सिंचाई के पानी में, बारिश के पानी में घुलकर जमीन के निचले स्तरों और जल स्त्रोतों की ओर चला जाता है। इस कारण मिट्टी में इसकी कमी बनी रहती है।
गहरी काली और दुमट मिट्टी में नाइट्रोजन तुलनात्मक रूप से ज्यादा समय तक रुका पाया जाता है इसके उलट रेतीली और बलुई मिट्टी में से नाइट्रोजन जल्दी से बह जाता है।
एक और बात ध्यान देने की है; जमीन में उपस्थित अतिरिक्त नाइट्रोजन गैसीय रूप में बाहर निकाल जाता है। जमीन में उपलब्ध नाइट्रोजन जिसे पौधों ने अवशोषित नहीं किया है, उसे सूक्ष्मजीव गैस के रूप मे परिवर्तित कर देते हैं और वह हवा में मिश्रित हो कर बाहर निकल जाता है। इस प्रक्रिया में नाइट्रीफिकेशन, डी-नाइट्रीफिकेशन और अमोनीफिकेशन की क्रियाएं होती हैं।
नाइट्रोजन कैसे प्रयोग करें?
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि नाइट्रोजन को एक साथ एक बार मे नहीं डालना चाहिए बल्कि इसकी डोज कई हिस्से में बांटकर और कॉम्प्लेक्स रूप में देनी चाहिए। यह काम यूरिया की मात्रा कम करके कॉम्प्लेक्स फर्टलाइज़र यानि डी ए पी और 12-32-16 आदि का प्रयोग करके किया जा सकता है।
पौधे की शुरुआत से ले कर डेंडु भरने तक कपास को नाइट्रोजन कम या ज्यादा मात्रा में आवश्यक होती है।
भूमि में नाइट्रोजन का सही स्तर बनाए रखने और जरूरत के समय पौधों के लिए नाइट्रोजन की कमी न हो इसकी व्यवस्था करने के लिए एज़ोटोबैक्टर (Azotobacter) नामक मित्र सूक्ष्मजीव (Microbe/Bacteria) का प्रयोग किया जा सकता है।
एज़ोटोबैक्टर (Azotobacter) के लाभ:
एज़ोटोबैक्टर एक मित्र सूक्ष्मजीव है जो पौधों की जड़ों के असपस (जिसे Rhizosphere कहा जाता है) आश्रय लेता है। पौधे इस मित्र सूक्ष्मजीव के लिए कई प्रकार के पोषक और जैव रसायन बनाते हैं ताकि इसकी संख्या बढ़ सके। बदले में एज़ोटोबैक्टर वायुमंडल की हवा में उपस्थित नाइट्रोजन गैस को पौधों के लिए उपलब्ध अमोनियम रूप में फिक्स करने के साथ साथ पौधों की बढ़वार के लिए बायो एक्टिव कम्पाउन्ड भी बनाता है।
एज़ोटोबैक्टर का प्रयोग करके अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि भूमि में ऑर्गैनिक मैटर (Organic matter) यानि कम्पोस्ट (Compost) की अच्छी मात्रा उपलब्ध हो। एज़ोटोबैक्टर की कुछ प्रजातियाँ फसल अपशिष्ट (Crop residue) का प्रयोग करके भी वायुमण्डल की नाइट्रोजन को पौधों के उपयोग लायक अमोनियम रूप में परिवर्तित करने की क्षमता रखती हैं। इसके अतिरिक्त एज़ोटोबैक्टर जमीन में ऑर्गैनिक मैटर यानि जीवांश बढ़ाने में सहायक है, पौधों की बढ़वार सुचारु रखने के लिए हार्मोन्स का निर्माण करता है। एज़ोटोबैक्टर जमीन की जलधारण क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है।
अर्थात अगर आप जमीन के रूपांतरण की बात सोच रहें हैं तो एज़ोटोबैक्टर आपके काफी काम का है।
उच्च गुणवत्ता का एज़ोटोबैक्टर; #Bacter Technologies द्वारा मृदा मित्र (Mridamitra) के ब्राण्डनेम से उपलब्ध है जो बेहतर परिणामों के साथ हर प्रकार की मिट्टी में प्रयोग किया जा सकता है।

कपास (Cotton) में फ़ॉस्फ़ोरस (Phosphorus) का प्रबंधन और सूक्ष्मजीवों का रोल
नाइट्रोजन से उलट फ़ॉस्फ़ोरस (Phosphorus) अत्यधिक अ-गतिशील तत्व है। फ़ॉस्फ़ोरस की कमी से पौधे की कम बढ़वार और फूल फल आने मे समस्याएं देखने को मिलती हैं। जड़ों का भी विकास बाधित होता है और फसल देरी से पकती है। फ़ॉस्फ़ोरस की कमी से फसल की उत्पादकता कम हो जाती है।
फ़ॉस्फ़ोरस (Phosphorus) की कमी का प्रमुख कारण
फ़ॉस्फ़ोरस जमीन और पानी में उपस्थित कैल्शियम के साथ बंधित हो कर अघुलनशील कैल्शियम-फ़ॉस्फेट रूप मे बदल जाता है। यह अघुलनशील कैल्शियम-फ़ॉस्फेट पौधों के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं होता यही कारण है कि मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट में फ़ॉस्फ़ोरस की मात्र अधिक दिखने पर भी फसल में फास्फोरस की कमी के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
फ़ॉस्फ़ोरस (Phosphorus) किस रूप में प्रयोग करें?
फ़ॉस्फ़ोरस खनिज रूप यानी रॉकफ़ॉस्फेट, ज्यादा घुलित रूप यानी सुपर फ़ॉस्फेट और कॉम्प्लेक्स रूप यानी डी ए पी और 12-32-16 आदि रूप में फसल में प्रयोग किया जा सकता है।
फ़ॉस्फ़ोरस घोलक मित्र सूक्ष्मजीव
फ़ॉस्फ़ोरस पौधे को उपलब्ध हो इसके लिए जमीन में फ़ॉस्फ़ोरस घोलक मित्र सूक्ष्मजीवों की संख्या और एक्टिविटी अच्छी होनी चाहिए। इस कार्य के लिए फ़ॉस्फेट घोलक बैक्टीरिया और फ़ॉस्फेट घोलक फंगस की अनुशंसा की जाती है।
#Bacter Technologies द्वारा निर्मित बैक्टर-फॉस (Bacter Phos) और बैक्टर-फॉस-एफ (Bacter Phos-F) फसल के लिए भूमि में उपस्थित अघुलनशील कैल्शियम-फ़ॉस्फेट को घुलनशील फ़ॉस्फेट के रूप में उपलब्ध करवाने में सहायक हैं।
कपास में पोटैशियम (Potassium) का प्रबंधन और सूक्ष्मजीवों का रोल
पोटैशियम की सही उपलब्धता पौधों की रोग रोधी क्षमता और उत्पादकता के लिय जरूरी है। डेंडु (boll) का वजन और गुणवत्ता पोटैशियम से प्रभावित होती है।
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पोटैशियम (Potassium) की कमी के प्रभाव
समय से पहले फसल का बूढ़ा हो जाना पोटैशियम की कमी का लक्षण है। अगर कपास (Cotton) के पौधे मे अधिक संख्या में डेंडु (boll) हैं और पोटैशियम की कमी है; तो इस कारण पौधे पर लोड आता है और फसल पकने से पहले ही पौधे में बुढ़ापा दिखने लगता है। गहरी मिट्टी के खेतों में अगर जल भराव होता है या अन्य कारणों से मिट्टी में हवा की पहुँच रुकती है तो भी पौधा जमीन से पोटैशियम नहीं ले पाता और इसकी कमी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
पोटैशियम (Potassium) किस रूप में प्रयोग करें?
MOP (Murite of potash) यानी पोटाश (लाल या सफेद) फसल में पोटाश की पूर्ति के लिए प्रयोग किया जाने वाला प्रमुख फर्टलाइज़र है। इसके अतिरिक्त कॉम्प्लेक्स फर्टलाइज़र यानी 12-32-16 भी पोटाश का अच्छा स्त्रोत है।
पोटैशियम (Potassium) मोबिलाइज़र मित्र सूक्ष्मजीव
यह देखा गया है की जमीन में पोटाश की काफी मात्रा उपस्थित होती है। पोटैशियम मृदा में पार्टिकल्स के साथ बंधित रूप में पाया जाता है। अघुलनशील रूप में यह सिलिकेट्स और अन्य मिनिरल्स के रूप में उपस्थित होता है जिसे पौधे आसानी से नहीं ले पाते। पोटाश घोलक सूक्ष्म जीव इस बंधित पोटाश को फसल के लिए उपलब्ध करवाने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
#Bacter Technologies द्वारा निर्मित K-Bacter उत्कृष्ट पोटाश घोलक सूक्ष्मजीव है जो सिलिकेट्स मिनिरल्स यानी चट्टानों तक से पोटैशियम को घुलित रूप में निकाल कर पौधों को उपलब्ध करवाने की क्षमता रखता है।

फर्टिलाइज़र्स के बढ़ते हुए दाम और कम होती उपलब्धता के दौर में मित्र सूक्ष्मजीव प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
कपास (Cotton) में अन्य सूक्ष्म वृहद पोषकों (Micro Nutrients) का प्रबंधन और सूक्ष्मजीवों का रोल
इन तीन प्रमुख पोषकों के अतिरिक्त सही और संतुलित मात्रा में मैग्नीशियम (Magnesium), सल्फर (Sulphur), आयरन (Iron), जिंक (Zinc), कोबाल्ट (Cobalt), मॉलिब्डेनम (Molybdanum), बोरॉन (Boron), कैल्शियम (Calcium), कॉपर (Copper) आदि तत्वों की पूर्ति से रोग प्रतिरोध और कपास की उत्पादकता अच्छे स्तर पर ले जाई जा सकती है। मिनिरल्स को घोल सकने की क्षमता रखने वाले मित्र सूक्ष्म जीव इन सूक्ष्म वृहद पोषकों की उपलब्धता फसल के लिए सुचारु बनाए रखने में सहायक होते हैं। मित्र सूक्ष्म जीव खेत में पोषण चक्रण बनाए रखने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। खेत को जीवंत बनाए रखने के लिए अति महत्वपूर्ण योगदान देते हैं खास तौर पर इक्स्टेन्सिव फ़ार्मिंग जो आज की मजबूरी है।
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