Skip to content
उच्च गुणवत्ता के मित्र सूक्ष्मजीव कल्चर

बैक्टर विभिन्न प्रकार के मित्र सूक्ष्मजीव कल्चर उपलब्ध करवाता है। ये कल्चर प्रयोगशाला में नियंत्रित परिस्थितियों में उत्पादित किये जाते हैं ताकि आपको सही काउन्ट और पूरी ऐक्टिविटी मिले। मुख्य रूप से 4 मित्र सूक्ष्मजीव कल्चर उपलब्ध हैं जो अनेकों प्रकार से फसल और भूमि के लिए लाभदायक हैं।

Bacter Mridamitra बैक्टर मृदामित्र

K-bacter के-बैक्टर

Bacter Phos बैक्टर फॉस

Zincobacter जिंको बैक्टर

Bacter_cultures
Bacter_cultures मित्र सूक्ष्मजीव
आइए इनके विषय में विस्तार से जानें
बैक्टर मृदामित्र Bacter Mridamitra
bacter mrida_mitra

बैक्टर मृदा-मित्र Azotobacter Bio-fertilizer (Liquid Based)

एज़ोटोबैक्टर से तो किसान भाई वाकिफ ही हैं। यह मुक्त रूप से रहने वाला यानि स्वतंत्र जीवी नाइट्रोजन स्थिरीकारक मित्र सूक्ष्मजीव है। यह पौधों की जड़ों के आसपास यानी Rhizosphere में रहकर हवा की नाइट्रोजन को पौधों के लिए उपयोगी अमोनियम रूप में बदलता है। जब हम खेत में यूरिया का इस्तेमाल करते हैं तब भी यही आमोनियम रूप उत्पन्न होता है पर रासायनिक रूप से। बैक्टर मृदा-मित्र को खेती में शामिल करके यूरिया और अन्य नाइट्रोजन वाले उर्वरकों की मात्रा में काफी कमी की जा सकती है।

जैसा कि मृदा मित्र नाम से स्पष्ट है नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने के साथ साथ यह म्यूकस (एक प्रकार का जेल नुमा पदार्थ) का निर्माण करके मिट्टी के कणों को आपस में बंधित करता है जिससे जैविक रूप से मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है, पोषण क्षमता और पौधों को सपोर्ट करने की क्षमता में वृद्धि होती है। अगर आप नियमित रूप से खेत में गोबर खाद या कम्पोस्ट का प्रयोग करते हैं तो एज़ोटोबैक्टर की कार्यक्षमता काफी बढ़ जाती है और बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। बैक्टर मृदा-मित्र का प्रयोग करके आप यूरिया के दुष्प्रभावों से बच सकते हैं। और अपने खेत की उत्पादकता और मिट्टी की क्षमता मे भी सुधार ला सकते हैं।

बैक्टर मृदा-मित्र का प्रयोग टमाटर, करेला, मिर्च, आलू, प्याज, लहसुन की खेती, फलों की बागवानी, कपास और गन्ने में विशेष लाभप्रद है।

के-बैक्टर k-Bacter

K-Bacter Potash Mobilizing Bio-fertilizer (KMB)

केमिकल fertilizer जैसे 12-32-16, 0-0-60 में पोटाश रासायनिक रूप में उपस्थित होता है। यह पोटैशियम कुछ वक्त के बाद मिट्टी के कणों से आबंधित हो कर पौधों के लिए अनुपलब्ध रूप में बदल जाता है। फसल में पोटैशियम की सुचारु आपूर्ति, फसल के स्वास्थ्य, रोग प्रतिरोध और अच्छी पैदावार के लिए बहुत जरूरी होती है। फसल के दौरान पोटैशियम को लगातार चक्र में बनाए रखने के लिए k-bacter अत्यधिक लाभप्रद है। पोटाश क्या है? फसलों में पोटाश क्यों जरूरी हैं यह जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

K-बैक्टर उच्च गुणवत्ता वाला पोटाश मोबलाइज़र सूक्ष्मजीव/कल्चर है। यह मित्र सूक्ष्मजीव कल्चर सॉइल पार्टिकल्स से बंधे हुए और पौधों के लिए अनुपलब्ध पोटैशियम को घुलनशील बना कर करके उसे पौधों के लिए उपलब्ध करवाता है। यह विभिन्न प्रकार के खनिजों और चट्टानों में उपस्थित पोटैशियम को भी घुलित रूप में लाने की क्षमता रखता है जिससे पौधे अपनी पोषण जरूरतों के अनुरूप ग्रहण कर सकते हैं।

बैक्टर फॉस Bacter Phos

Phosphate Solubilizing Bacteria (PSB)

फास्फ़ोरस फसलों की पैदावार को प्रभावित करने वाला जरूरी पोषक तत्व है। पौधों को कोशिका विभाजन यानी बढ़वार, फूल आने, फूलों के फल में बदलने और फलों के सही आकार और वजन के लिए फास्फ़ोरस जरूरी है। कंद वाली फसलों में कंद के बड़े आकार के, सही वजन के होने के लिए भी फास्फ़ोरस जरूरी है। गन्ने और घास वर्गीय फसलों जैसे लेमन ग्रास में टिलरिंग फास्फ़ोरस की उपलब्धता से सीधे तौर पर सम्बद्ध है।

केमिकल (डी ए पी, 12-32-16) या मिनिरल (रॉक फॉस्फेट) रूप में दिया गया फास्फ़ोरस जल्द ही जमीन में उपस्थित कैल्शियम के साथ बंधित हो कर अघुलनशील रूप में बदल जाता है और पौधों को उपलब्ध नहीं हो पाता। इसी कारण कुछ किसान उत्पादन पाने के लिए फ़र्टिलाईजर की मात्रा लगातार बढ़ाते जाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। बैक्टर फॉस के ताकतवर फास्फ़ोरस घोलक सूक्ष्मजीव इस अघुलनशील फास्फ़ोरस को घुलनशील फॉस्फेट में बदल देते हैं। पर्याप्त मात्र मे फास्फ़ोरस मिलने पर फसलें लहलहा उठती हैं और भरपूर उत्पादन की आशा की जा सकती है।

बैक्टर फॉस का प्रयोग टमाटर, करेला, मिर्च, आलू, प्याज, लहसुन की खेती, फलों की बागवानी, कपास और गन्ने में विशेष लाभप्रद है। फसलों में बैक्टर फॉस का प्रयोग ड्रिप / स्प्रिंकलर / फ़्लड इरीगेशन या फिर कम्पोस्ट में मिला कर किया जा सकता है।

जिंको बैक्टर Zincobacter

Zinc Solubilizing Bio-fertilizer (ZSB)

जिंक न सिर्फ इंसानों के लिए बल्कि पौधों की रोग रोधी क्षमता के लिए जरूरी तत्व है। जिंक विभिन्न प्रकार के प्रोटीन और एन्ज़ाइम का जरूरी हिस्सा है, जिंक की कमी से यह प्रोटीन अपना प्रापर काम नहीं कर पाते जिससे पौधे कमजोर और विभिन्न कीटों और बीमारियों के लिए ससेप्टिबल हो जाते हैं। जिंक वैसे तो एक सूक्ष्म पोषक तत्व है पर इसकी कमी से फसल की उत्पादकता और व्याधियों में उल्लेखनीय प्रभाव पड़ता है।

जिंकोबैक्टर (Zincobacter) के सूक्ष्म जीव खनिज और अघुलनशील रूप में उपस्थित जिंक को पौधों के लिए उपलब्ध घुलनशील रूप में बदल देते हैं। जिसे पौधे आसानी से अवशोषित कर सकते हैं। केमिकल रूप में डाले गए जिंक को खेत के पोषण चक्र में बनाए रखने के लिए कम्पोस्ट और जिंकोबैक्टर का प्रयोग विशेष लाभप्रद है। ऐसा करने पर अच्छी उत्पादकता पाई जा सकती है और केमिकल लोड कम किया जा सकता है।

जिंकोबैक्टर का प्रयोग टमाटर, करेला, मिर्च, आलू, प्याज, लहसुन की खेती, फलों की बागवानी, कपास और गन्ने में विशेष लाभप्रद है। फसलों में जिंकोबैक्टर (Zincobacter) का प्रयोग ड्रिप / स्प्रिंकलर / फ़्लड इरीगेशन या फिर कम्पोस्ट में मिला कर किया जा सकता है।