
K-बैक्टर
Potash Mobilizing Bio-fertilizer (KMB)
K यानी केलियम; लैटिन भाषा के इस शब्द का आशय पोटैशियम से है। K-बैक्टर उच्च गुणवत्ता वाला पोटाश मोबलाइज़र सूक्ष्मजीव/कल्चर है।
K-बैक्टर का प्रयोग टमाटर, करेला, मिर्च, आलू, प्याज, लहसुन की खेती, फलों की बागवानी, कपास और गन्ने में विशेष लाभप्रद है।
K-बैक्टर सॉइल पार्टिकल्स से बंधे हुए और पौधों के लिए अनुपलब्ध पोटैशियम को मोबलाइज़ करके उसे पौधों के लिए उपलब्ध करवाता है। यह विभिन्न प्रकार के खनिजों और चट्टानों में उपस्थित पोटैशियम को घुलित रूप में लाता है जिसे पौधे अपनी पोषण जरूरतों के अनुरूप ग्रहण कर सकते हैं।
ध्यान देने की बात है कि केमिकल रूप में दिए गया पोटैशियम कुछ वक्त के बाद पौधों के लिए अनुपलब्ध रूप में बदल जाता है। इसे लगातार चक्र में बनाए रखने के लिए K-बैक्टर अत्यधिक लाभप्रद है।
फसल में पोटैशियम की सुचारु आपूर्ति, फसल के स्वास्थ्य, रोग प्रतिरोध और अच्छी पैदावार के लिए बहुत जरूरी होती है।
फसलों में K-बैक्टर का प्रयोग ड्रिप / स्प्रिंकलर / फ़्लड इरीगेशन या फिर कम्पोस्ट में मिला कर किया जा सकता है।
प्रयोग से पहले इसे गुड बेसन में मल्टीप्लाइ करने की कोई आवश्यकता नहीं होती, सीधे प्रयोग किया जा सकता है।

बैक्टर फॉस
Phosphate Solubilizing Bacteria (PSB)
फास्फ़ोरस फसलों की पैदावार को प्रभावित करने वाला जरूरी पोषक तत्व है।
पौधों को कोशिका विभाजन यानी बढ़वार, फूल आने, फूलों के फल में बदलने और फलों के सही आकार और वजन के लिए फास्फ़ोरस जरूरी है। कंद वाली फसलों में कंद के बड़े आकार के, सही वजन के होने के लिए भी फास्फ़ोरस जरूरी है। गन्ने और घास वर्गीय फसलों जैसे लेमन ग्रास में टिलरिंग फास्फ़ोरस की उपलब्धता से सीधे तौर पर सम्बद्ध है।
केमिकल (डी ए पी, 12-32-16) या मिनिरल (रॉक फॉस्फेट) रूप में दिया गया फास्फ़ोरस जल्द ही जमीन में उपस्थित कैल्शियम के साथ बंधित हो कर अघुलनशील रूप में बदल जाता है और पौधों को उपलब्ध नहीं हो पाता। इसी कारण कुछ किसान उत्पादन पाने के लिए फ़र्टिलाईजर की मात्रा लगातार बढ़ाते जाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
बैक्टर फॉस के ताकतवर फास्फ़ोरस घोलक सूक्ष्मजीव इस अघुलनशील फास्फ़ोरस को घुलनशील फॉस्फेट में बदल देते हैं। पर्याप्त मात्र मे फास्फ़ोरस मिलने पर फसलें लहलहा उठती हैं और भरपूर उत्पादन की आशा की जा सकती है।
बैक्टर फॉस का प्रयोग टमाटर, करेला, मिर्च, आलू, प्याज, लहसुन की खेती, फलों की बागवानी, कपास और गन्ने में विशेष लाभप्रद है।
फसलों में बैक्टर फॉस का प्रयोग ड्रिप / स्प्रिंकलर / फ़्लड इरीगेशन या फिर कम्पोस्ट में मिला कर किया जा सकता है।
प्रयोग से पहले इसे गुड बेसन में मल्टीप्लाइ करने की कोई आवश्यकता नहीं होती, सीधे प्रयोग किया जा सकता है।

बैक्टर मृदा-मित्र
Azotobacter Bio-fertilizer
एज़ोटोबैक्टर से तो किसान भाई वाकिफ ही हैं। यह मुक्त रूप से नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाला मित्र सूक्ष्मजीव है। यह पौधों की जड़ों के आसपास रहकर हवा की नाइट्रोजन को पौधों के लिए उपयोगी अमोनियम रूप में बदलता है।
बैक्टर मृदा-मित्र को खेती में शामिल करके यूरिया और अन्य नाइट्रोजन वाले उर्वरकों की मात्रा में काफी कमी की जा सकती है।
जैसा कि नाम से स्पष्ट है नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने के साथ साथ यह म्यूकस का निर्माण करके मिट्टी के कणों को आपस में बंधित करता है जिससे जैविक रूप से मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है, पोषण क्षमता और पौधों को सपोर्ट करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
अगर आप नियमित रूप से खेत में गोबर खाद या कम्पोस्ट का प्रयोग करते हैं तो एज़ोटोबैक्टर की कार्यक्षमता काफी बढ़ जाती है और बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।
बैक्टर मृदा-मित्र का प्रयोग करके आप यूरिया के दुष्प्रभावों से बच सकते हैं। और अपने खेत की उत्पादकता और मिट्टी की क्षमता मे भी सुधार ला सकते हैं।
बैक्टर मृदा-मित्र का प्रयोग टमाटर, करेला, मिर्च, आलू, प्याज, लहसुन की खेती, फलों की बागवानी, कपास और गन्ने में विशेष लाभप्रद है।
फसलों में बैक्टर मृदा-मित्र का प्रयोग ड्रिप / स्प्रिंकलर / फ़्लड इरीगेशन या फिर कम्पोस्ट में मिला कर किया जा सकता है। प्रयोग से पहले इसे गुड बेसन में मल्टीप्लाइ करने की कोई आवश्यकता नहीं होती, सीधे प्रयोग किया जा सकता है।

जिंकोबैक्टर
Zinc Solubilizing Bio-fertilizer (ZSB)
जिंक न सिर्फ इंसानों के लिए बल्कि पौधों की रोग रोधी क्षमता के लिए जरूरी तत्व है।
जिंक विभिन्न प्रकार के प्रोटीन और एन्ज़ाइम का जरूरी हिस्सा है, जिंक की कमी से यह प्रोटीन अपना प्रापर काम नहीं कर पाते जिससे पौधे कमजोर और विभिन्न कीटों और बीमारियों के लिए ससेप्टिबल हो जाते हैं।
जिंकोबैक्टर के सूक्ष्म जीव खनिज और अघुलनशील रूप में उपस्थित जिंक को पौधों के लिए उपलब्ध घुलनशील रूप में बदल देते हैं। जिसे पौधे आसानी से अवशोषित कर सकते हैं।
जिंक वैसे तो एक सूक्ष्म पोषक तत्व है पर इसकी कमी से फसल की उत्पादकता और व्याधियों में उल्लेखनीय प्रभाव पड़ता है।
केमिकल रूप में डाले गए जिंक को खेत के पोषण चक्र में बनाए रखने के लिए कम्पोस्ट और जिंकोबैक्टर का प्रयोग विशेष लाभप्रद है। ऐसा करने पर अच्छी उत्पादकता पाई जा सकती है और केमिकल लोड कम किया जा सकता है।
जिंकोबैक्टर का प्रयोग टमाटर, करेला, मिर्च, आलू, प्याज, लहसुन की खेती, फलों की बागवानी, कपास और गन्ने में विशेष लाभप्रद है।
फसलों में जिंकोबैक्टर का प्रयोग ड्रिप / स्प्रिंकलर / फ़्लड इरीगेशन या फिर कम्पोस्ट में मिला कर किया जा सकता है। प्रयोग से पहले इसे गुड बेसन में मल्टीप्लाइ करने की कोई आवश्यकता नहीं होती, सीधे प्रयोग किया जा सकता है।